‘क्या मृत मतदाताओं को सूची में रहने दें?’ चुनाव आयोग ने बिहार में SIR का विरोध करने वालों से पूछे 5 तीखे सवाल
बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर सियासी विवाद तेज है. विपक्ष का आरोप है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से 50 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हट सकते हैं. संसद में कांग्रेस और RJD समेत INDIA गठबंधन ने विरोध जताया. चुनाव आयोग ने कहा कि शुद्ध मतदाता सूची ही लोकतंत्र की नींव है और पूछा कि क्या मृतक, डुप्लीकेट या विदेशी मतदाताओं को सूची में रहने देना चाहिए? चुनाव आयोग के मुताबिक, 56 लाख नाम अयोग्य पाए गए हैं.

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत मतदाता सूची की शुद्धिकरण प्रक्रिया पर सियासी घमासान मचा हुआ है. विपक्ष का आरोप है कि इस कवायद से 50 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं, जिससे निष्पक्ष चुनाव पर सवाल खड़े होंगे.
कांग्रेस और RJD समेत INDIA गठबंधन के नेताओं ने संसद परिसर में प्रदर्शन कर SIR प्रक्रिया को रद्द करने और इस पर चर्चा की मांग की. वहीं, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बताया है और 5 तीखे सवाल भी पूछे हैं.
चुनाव आयोग ने पूछे ये 5 बड़े सवाल...
- क्या मृत मतदाताओं को मतदाता सूची में रहने देना चाहिए?
- क्या डुप्लीकेट EPIC कार्ड वाले लोगों को शामिल किया जाना चाहिए?
- क्या स्थायी रूप से बाहर गए मतदाताओं को वोटर लिस्ट में रखना सही है?
- क्या विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची में रहने देना चाहिए?
- क्या पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार शुद्ध मतदाता सूची मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद नहीं है?
चुनाव आयोग कहा कि शुद्ध मतदाता सूची तैयार करना मजबूत लोकतंत्र की नींव है. आयोग ने विपक्ष की आपत्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मृत मतदाताओं, स्थायी रूप से बाहर गए लोगों या फर्जी मतदाताओं को सूची में रहने देना सही है? आयोग का दावा है कि जांच में 56 लाख मतदाता अयोग्य पाए गए, जिनमें 20 लाख मृतक, 28 लाख स्थायी रूप से बाहर गए, 7 लाख डुप्लीकेट नाम और 1 लाख अज्ञात शामिल हैं.
तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी है कि अगर प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो वे आगामी चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं. अब यह विवाद न केवल बिहार बल्कि देशभर में चुनावी पारदर्शिता पर नई बहस छेड़ रहा है.